Bank Kya Hai”बैंक क्या है इसके कार्य बताइए|what is bank

बैंक के कार्य लिखिए”बैंक कितने प्रकार के होते है”बैंक के प्रकार”भारतीय बैंक के प्रकार”केंद्रीय बैंक के कार्य”व्यावसायिक बैंक के प्रकार”बैंक के पांच कार्य बताइए”बैंक को परिभाषित करो|banking topic in hindi|

इसके बारे में सारी दुनिया जानती है और आपको इसके बारे में जरूर मालूम होगा|बैंक क्या है हर जरुरत को पूरा करने के लिए हमे पैसे की जरुरत पड़ती है|इसीलिए उसकी सुरक्षा के लिए एक अकाउंट का होना जरुरी है|उस वित्तीय संस्था को बैंक कहते हैं जो जनता से राशि लेती है। और जनता को ऋण देती है। बैंक जमा राशि पर ब्याज देती है।अकाउंट न हो तो आप सोच सकते हैं की कितनी प्रॉब्लम होती है. आप जो घर बैठे इलेक्ट्रिसिटी बिल, गैस बिल, शोप्पिंग्, transaction, मोबाइल रिचार्ज, DTH रिचार्ज कर लेते हैं|

बैंकिंग ऋण देने या निवेश के उद्देश्य के लिये जनता से धन या जमा राशि स्वीकार करने को कहते हैं जिसे मांग पर दिया जा सके या चेक, ड्राफ्ट, आदेश या अन्य तरीकों द्वारा वापस लिया जा सके।अधिकांश देशों में बैंकों को सख्त नियमन के तहत रखा जाता है। भारत में, भारतीय रिजर्व बैंक शीर्ष बैंकिंग संस्थान है जो देश में मौद्रिक नीति को नियंत्रित करता है। मौजूदा बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक देश का सबसे पुराना है।

बैंक की परिभाषा

Oxford Dictionary के अनुसार एक bank होता है “एक ऐसा establishment पैसे प्रदान करने का, जो की अपने consumers को pay करता है जब वो उसके लिए अर्जी करें. ”

अगर हम Finance का बात करें तब ये किसी भी trade, commerce और industry का आधार होता है. अभी के समय की बात करें तब, किसी भी modern business का backbone होता है ये banking sector.

Types of Banks in hindi|बैंकों के प्रकार

वाणिज्यिक यानि कमर्शियल बैंक Commercial Banks

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक Public Sector Banks

निजी क्षेत्र के बैंक Private Banks

विदेशी बैंक Foriegn Banks

पेमेंट बैंक Payment Banks

बैंक के कार्य लिखिए

  1. बैंक खाते: यह बैंकिंग क्षेत्र की सबसे आम सेवा है। कोई भी व्यक्ति बैंक खाता खोल सकता है इनमे बचत खाता, चालू खाता या जमा खाता कौनसा भी अकाउंट खुलवा सकता है। बैंक कई प्रकार के अकाउंट की सुविधाये देती है।
  2. ऋण खाते: बैंक जनता को ऋण का भी कार्य करता है। बैंक की मुख्य कमाई लोन (loan) देना ही होता है। यह कई प्रकार का ऋण देती है। यह आवास ऋण, कार ऋण, व्यक्तिगत ऋण, शेयर के विरुद्ध ऋण और शैक्षिक ऋण आदि लोन ले सकते है।
  3. धन हस्तांतरण: बैंक विश्व में कोई भी जगह रूपये भेज सकता है। यह ऑनलाइन बैंकिंग, ड्राफ्ट, चेक तरह से रूपये भेज सकता है।
  4. क्रेडिट और डेबिट कार्ड: सभी बैंकें अपने ग्राहकों को क्रेडिट कार्ड देता है। जिससे उनको आसानी हो। यह इन कार्ड की मदद से कहाँ भी पेमेंट कर सकते हो। जब से यह कार्ड शुरू हुये हे जब से व्यकिय कैश बहुत कम अपने पास रखने लगे है।
  5. लाकर्स सुविधा : अधिकांश बैंकों के पास लाकर्स सुविधा उपलब्ध होती है जिसमें ग्राहक अपने महत्वपूर्ण दस्तावेज या कीमती वस्तु इनमे रख सकता है। जिनमे यह सुरक्षित है। वर्तमान में यह लाकर्स सुविधा इस्तेमाल करने लगे है।

भारतीय रिजर्व बैंक के कार्य

बैंक को दिशा निर्देश देना।
बैंको को लाइसेंस देना।
भारतीय रिजर्व बैंक बैंको के बैंकर की। तरह काम करता है।
ग्रामीणों जगह पर बैंको को खुलवाना
साख नियन्त्रित करना।
मुद्रा (currency) के लेन देन को नियंत्रित करना।
करेंसी जारी करता है और उसका विनिमय करता है यदि परिचालन के योग्य नहीं रहने पर यह नोटों और सिक्कों को नष्ट करता है।

बैंक के पांच कार्य बताइए”बैंक को परिभाषित करो

बैंक में कोई भी व्यक्ति निर्धारित नियम एवं व्यवस्था के अंतर्गत खाता खुलवाकर अपनी धनराशि जमा करवा सकता है। व्यापारिक बैंकों द्वारा जमा राशि का उपयोग राष्ट्र के आर्थिक विकास के लिए किया जाता है। इस कार्य के द्वारा छोटी-छोटी बचतों को एकत्र कर पूँजी निर्माण का कार्य किया जाता है तथा इन जमाओं के आधार पर ही बैंक साख सृजन का कार्य करते हैं। बैंक कई प्रकार के खातों में जमाएँ प्राप्त करते है, जिनमें से प्रमुख खाते इस प्रकार है :-

सावधि जमा खाता

सावधि जमा का तात्पर्य खाते में ऐसी जमा से है, जो किसी निश्चित अवधि की समाप्ति पर ही वापस प्राप्त की जा सके। जमा अवधि का चयन ग्राहक द्वारा अपनी सुविधा एवं आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए किया जाता है। सुरक्षा एवं ब्याज की दृष्टि से यह खाता सर्वश्रेष्ठ है। इसका उपयोग केवल वे ही लोग कर सकते है, जो अपनी धनराशि एक मुश्त निर्धारित अवधि के लिए बैंक के पास रखने की क्षमता एवं इच्छा रखते हो। स्थायी जमा खाते पर ब्याज की दर जमा की अवधि के अनुसार कम या ज्यादा हो सकती है। जमाकर्ता को बैंक एक रसीद देता है। परिपक्वता की तिथि से पूर्व धन की आवश्यकता पड़ने पर जमा रसीद की जमानत पर बैंक से ऋण लिया जा सकता है।

बचत बैंक खाता

बचत बैंक खाते का प्रमुख उद्देश्य जनता में बचत की भावना को प्रोत्साहन देना है। अल्प एवं मध्यम आय वर्ग के लिए यह खाता बहुत महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपनी छोटी-छोटी बचतों को बैंक में जमा करवा सकता है तथा आवश्यकता पड़ने पर वापस निकाल सकता है। इस खाते में जमा धनराशि पर ब्याज भी मिलता है। इस खाते पर चैक बुक की सुविधा भी मिलती है।

चालु खाता

चालु खाता एक ऐसा खाता है जिसमें किसी भी कार्य दिवस में अनेक बार लेन-देन किये जा सकते है। चालु खाते में जमा माँग पर देय होती है, इसलिये बैंक इस पर कोई ब्याज नहीं देता। यह खाता व्यापारियों, संयुक्त पूँजी कम्पनियों, संस्थाओं आदि के लिए उपयुक्त होता है। चालु खाते पर बैंक ग्राहकों को अधिविकर्ष की सुविधा भी देता है।

आवर्ती या संचयी जमा खाता

आवर्ती जमा खाता मुख्य रुप से उन जमाकर्ताओं के लिए है जो अपनी छोटी-छोटी बचतों के माध्यम से एक निश्चित उद्देश्य के लिए निश्चित रकम जमा कराना चाहते हैं। यह खाता खोलने वाले व्यक्ति को एक निश्चित रकम जो 5 या 10 रुपये के गुणक में होती है, एक निश्चित अवधि तक प्रति मास अपने खाते में जमा करवानी होती है। इस खाते पर दिये जाने वाले ब्याज की दर बचत खाते से कुछ अधिक होती है।

अन्य जमा खाते/योजनायें

व्यापारिक बैंक अत्यंत ही अल्प आय वाले व्यक्तियों की बचतों को एकत्रित करने तथा उन्हें प्रोत्साहित करने के ध्येय से गृह बचत खाता खोलने की भी सुविधा देते हैं। व्यापारिक बैंकों ने बचतों के विभिन्न उद्देश्यों के अनुरुप अनेक प्रकार की जमा योजनायें भी चालू की है, जिनमें प्रतिदिन बचत जमा योजना, मासिक ब्याज आय जमा योजना, अवयस्क बचत योजना, कृषक जमा योजना, गृह जमा योजना आदि प्रमुख है।

ऋण अथवा उधार देना

बैंक का द्वितीय प्रमुख कार्य ऋण अथवा उधार देना है। बैंक अपने ऋणों पर उसके द्वारा जमाओं पर दिये जाने वाले ब्याज से अधिक दर से ब्याज लेता है। बैंक प्राथ्र्ाी को ऋण सुविधा चार प्रकार से दे सकता है :-

नकद साख

नकद साख पद्धति के अधीन बैंक प्राथ्र्ाी के लिए ऋण लेने की एक सीमा निर्धारित कर देता है। व्यापारी अपनी आवश्यकतानुसार जब चाहे उस सीमा तक रकम निकाल सकता है। ब्याज केवल उसी राशि पर वसूल किया जाता है, जितनी राशि निकाली गई है। नकद साख सदैव पर्याप्त जमानत के आधार पर ही स्वीकृत की जाती है।

अधिविकर्ष

बैंक अधिविकर्ष के रुप में ऋण की सुविधा केवल अपने खातेदारों को ही दे सकता है। कभी-कभी ग्राहक को अस्थायी रुप से खाते में जमा से अधिक राशि की आवश्यकता पड़ सकती है। ऐसी स्थिति में ग्राहक अपने बैंक से प्रार्थना करता है कि उसे खाते में जमा राशि से भी अधिक राशि निकालने की अनुमति दी जाये। बैंक अपने ग्राहक की साख क्षमता पर विचार कर उसको निश्चित राशि तक अधिविकर्ष की अनुमति दे देता है। ग्राहक उस सीमा तक कभी भी राशि निकाल सकता है।

सामान्य ऋण

बैंकों द्वारा ऋण देने का यह सबसे साधारण रुप है। जब कोई व्यक्ति ऋण के लिए प्रार्थना करता है तो बैंक प्राथ्र्ाी की साख एवं अन्य बातों के विषय में विचार कर उसे ऋण स्वीकृत कर वह राशि उसके एक पृथक ऋण खाते में जमा कर देता है। ऋण स्वीकृत करते समय बैंक और प्राथ्र्ाी के बीच ब्याज की दर एवं भुगतान की शर्ते तय हो जाती हैं।

संस्था का महत्वपूर्ण बैंकिंग कार्य ऋण वितरण करना हैं। सदस्यों को आसानी से वित्तीय साधन प्राप्त हो इस हेतु संस्था द्वारा विभिन्न ऋण योजनाएँ संचालित की जा रही हैं। सुरक्षा के दृष्टिकोण से संस्था के उपनियमों में कर्ज प्राप्ति के कुछ नियम बनाए गए हैं। जिनकी पूर्ति के पश्चात् ही सदस्य ऋण प्राप्त कर सकता हैं।

  1. संस्था से ऋण प्राप्ति के नियम निम्नानुसार हैं :-
    बैंक से ऋण प्राप्ति की पात्रता केवल सदस्य को ही है।
  2. असुरक्षित कर्ज पर पाँच प्रतिशत तथा सुरक्षित कर्ज पर ढाई प्रतिशत के हिसाब से अतिरिक्त अंश क्रय करना आवश्यक हैं।
  3.  ऋण आवेदक को निर्धारित प्रारूप में जानकारी देना एवं अपनी सम्पत्ति व आमदनी का प्रमाणिकरण देना आवश्यक है।
  4. बैंक की उपविधियों और संचालक मण्डल द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार जमानत पर तथा चल एवं अचल सम्पत्ति पर बंधक लेकर ऋण प्रािप्त की योजना रहेगी।
  5. ऋण देना, न देना या आवेदित राशि से कम देना तथा दिये हुए जमानतदार या बंधक सम्पत्ति योग्य है या नही, यह निश्चित करना संचालक मण्डल या उसके द्वारा अधिकृत ऋण सीमित के अधिकार में हैं।
  6. दी गई जानकारी सही नहीं हैं, ऐसा ज्ञात होने पर दिया गया ऋण तत्काल ब्याज सहित वसूल करने का अधिकार संचालक मण्डल को है।
  7. प्रस्तुत जमानतदार या बंधक सम्पत्ति किसी कारण योग्य या पर्याप्त नहीं हैं, ऐसा ज्ञात होने पर ऋणी सदस्य को संचालक मण्डल द्वारा निर्धारित समयावधि में इसके योग्य जमानतदार या बंधक सम्पत्ति देना आवश्यक है अन्यथा दिया हुआ ऋण तत्काल ब्याज सहित वसूल करने का अधिकार संचालक मण्डल को हैं।
  8. यदि बंधक सम्पत्ति को विक्रय पर ऋण वसूल करना आवश्यक हुआ तथा उस विक्रय राशि से पूर्ण अदायगी न हो सकी तो शेष राशि के अदायगी की जिम्मेदारी ऋणी सदस्य की ही हैं। इसके लिये सदस्य को योग्य बंधक या योग्य जमानतदार देना आवश्यक हैं।

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